कोटा में सिंदूरी रंग की बहार: वन विभाग ने तैयार किए 4000 पौधे, दो नर्सरी बनी आकर्षण का केंद्र
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ऑपरेशन सिंदूर के महत्व को देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने पर्यावरण दिवस पर सिंदूर का पौधा लगाया। कोटा वन विभाग ने पहली बार नर्सरियों में इसके 4000 पौधे तैयार किए हैं। यह औषधीय गुणों से भरपूर पौधा पर्यावरण संरक्षण और विलुप्त प्रजातियों के संरक्षण में अहम भूमिका निभाएगा।
कोटा: पाकिस्तान में पनप रहे आतंकी ठिकानों को नेस्तनाबूत करने के लिए पहलगाम की घटना के बाद भारत सरकार ने पलटवार करते हुए ऑपरेशन सिंदूर चला कर आतंकी ठिकानों को नष्ट किया था, यह ऑपरेशन भारत की सेना का शौर्य पराक्रम का प्रतीक बना। असल में सिंदूर कुमकुम ट्री या कामिल (वानस्पतिक नाम मेलोटस फिलिफिंसिस) के बीज से तैयार होता है। ऑपरेशन सिंदूर और इसका सनातन में महत्व देखते हुए पर्यावरण दिवस पर गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह पौधा अपने आवास पर लगाया है। आमतौर पर यह दक्षिणी अमेरिकी देशों, भारत समेत कुछ एशियाई देशों में होता है। भारत में हिमाचल और महाराष्ट्र के कुछ हिस्से में होता है। पहली बार इसकी पौध कोटा वन विभाग की दो नर्सरियों में भी तैयार की गई है। लाडपुरा नर्सरी में एक हजार और देवली-अरब स्थित नर्सरी में सिंदूर के 3 हजार पौधे तैयार हैं।
बीज पीसने से बनता है सिंदूर
रिटायर्ड आयुर्वेदाचार्य डॉ. सुधींद्र श्रृंगी कहते हैं कि कुमकुम पौधे का वर्णन वनौषधि विशेषांक में है। इसकी बड़ी पत्तियां और लाल फूल सुंदर होते हैं। तीन चार साल में इसके बीज आने लगते हैं। बीज के चूर्ण से सिंदूर तैयार करते हैं। यह हृदय को शिथिलता प्रदान करता है। इसके पेड़ के नीचे बैठने से शीतलता मिलती है। क्षेत्र में तापमान नियंत्रित रहता है। खून की कमी को दूर करने के साथ त्वचा संबंधी बीमारियों में लाभदायक है।
पौधे की रेट निर्धारित हाइट के हिसाब से
वन मंडल की लाडपुरा रेंजर इंद्रेश सिंह यादव ने बताया कि हमारी नर्सरी में एक हजार पौधे तैयार किए गए हैं, जिनका वितरण शुरू कर दिया है। 2 फीट तक ऊंचा पौधा छह रुपए, चार फीट तक का 10 और 4 फीट से अधिक ऊंचा पौधा 16 रुपए में दे रहे हैं। कोटा वन मंडल के डीसीएफ एके श्रीवास्तव ने कहा कोटा में विलुप्त प्रजातियों के संरक्षण की पहल कर रहे हैं। इनमें सिंदूर भी एक है। दो नर्सरियों में इसके चार हजार पौधे तैयार किए हैं। विभाग से तय दर पर इनका वितरण शुरू कर दिया है।
Edited By: वागड़ संदेश ब्यूरो
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