भीलूडा में अंत्योदय संबल शिविर औपचारिकता तक सीमित, कई विभागों के नहीं पहुचें अधिकारी, ग्राम पंचायत की सुचना में समय की जानकारी नहीं

भीलूडा में अंत्योदय संबल शिविर औपचारिकता तक सीमित, कई विभागों के नहीं पहुचें अधिकारी, ग्राम पंचायत की सुचना में समय की जानकारी नहीं
भीलूडा में अंत्योदय संबल शिविर में उपखंड स्तरीय विभागीय अधिकारी रहे नदारद, सार्वजनिक निर्माण विभाग पूरी तरह गायब |

दीनदयाल अंत्योदय संबल शिविर बना औपचारिकता: विभागीय लापरवाही और व्यवस्था की बदहाली उजागर

भीलूडा (डूंगरपुर)। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की महत्वाकांक्षी योजना दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय संबल शिविर मंगलवार को ग्राम पंचायत भीलूडा में आयोजित हुआ, लेकिन व्यवस्था की बदहाली और कई विभागीय लापरवाही के चलते यह शिविर सिर्फ एक औपचारिकता बनकर रह गया। अपेक्षा अनुरूप ग्रामीण भी नहीं पहुचे शिविर में |
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ग्राम पंचायत की सुचना में समय की जानकारी नहीं -सूचना रजिस्टर का फोटो
 
शिविर की सूचना ग्राम विकास अधिकारी द्वारा ग्रामवासियों को दी गई थी, लेकिन जारी एजेंडे में शिविर का समय नहीं दर्शाया गया, जिससे आमजन असमंजस में रहे कि आखिर कब पहुंचा जाए। रही-सही कसर इस बात ने पूरी कर दी कि शिविर में उपखंड स्तर से  कई विभागीय अधिकारी उपस्थित नहीं थे। जिसमे जलदाय विभाग, कृषि विभाग, चिकित्सा विभाग से कोई बड़ा अधिकारी नहीं पहुचे | उनकी जगह पर केवल गांव में कार्यरत कर्मचारियों को भेज दिया गया, जो न तो समस्याएं सुनने में सक्षम थे, न ही उनका निस्तारण करने में। वही सार्वजनिक निर्माण विभाग से ना तो विभागीय अधिकारी या कोई कर्मचारी उपस्थित रहा | वही दोपहर ढाई बजे बाद विकास अधिकारी भरतलाल कलाल शिविर में पहुचे ओर PM आवास संबंधी समस्याओ को सुना ओर ग्राम विकास अधिकारी विरेन्द्र जैन को आवश्यक दिशा निर्देश दिए | वही सागवाड़ा विधायक शंकरलाल डेचा भी शिविर में पहुचे ओर आधा घंटा शिविर में बैठकर आमजन की समस्याओं को सुना ओर संबंधित विभागों को निर्देश दिए | 
 
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भीलूडा में अंत्योदय संबल शिविर में खाली पड़ी कुर्सियां, समय की असमंजस की स्थिति में नहीं पहुच पाये ग्रामीण
 
शिविर में ग्रामीण महिलाएं, बुजुर्ग, मजदूर एवं अनुसूचित वर्ग के लोग विभिन्न समस्याओं और योजनाओं से जुड़ी शिकायतें लेकर पहुंचे थे, लेकिन अधिकारियों की अनुपस्थिति के कारण उनकी बात अनसुनी रह गई। ग्रामीणों का कहना है कि यदि ऐसे शिविर बिना तैयारी और अधिकारियों की मौजूदगी के होंगे तो यह "संबल" नहीं बल्कि "संघर्ष" शिविर बन जाएंगे। मुख्यमंत्री की मंशा गरीबों तक योजनाओं का सीधा लाभ पहुंचाने की है, लेकिन जमीनी स्तर पर योजना प्रभावित हो रही है।

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