शनिवार : न्याय और तपस्या के देवता शनिदेव की आराधना का दिन | पूरा पढ़े
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हिंदू धर्म में सप्ताह के प्रत्येक दिन का एक विशेष महत्व है, लेकिन Shanivar का दिन विशेष रूप से न्याय के देवता शनि महाराज को समर्पित होता है। यह दिन तप, संयम, श्रद्धा और आत्मचिंतन का प्रतीक है। शनिदेव कर्मों के अनुसार फल देने वाले देवता हैं, जो मनुष्य को उसके अच्छे या बुरे कर्मों के आधार पर दंड या पुरस्कार देते हैं।
शनिदेव का परिचय :
शनि देव, सूर्यदेव और छाया (संवर्णा) के पुत्र हैं। इन्हें नवग्रहों में सबसे शक्तिशाली और भयभीत करने वाला ग्रह माना जाता है। शनि का प्रभाव जब कुंडली में सही स्थान पर होता है, तो व्यक्ति को ऊँचाइयों तक पहुँचाता है, वहीं अगर अशुभ स्थिति में हो तो जीवन में अनेक बाधाएँ आती हैं।
शनि को काल, यम और कर्म का प्रतिनिधि भी माना गया है। वे धीमे चलने वाले ग्रह हैं और किसी राशि में लगभग ढाई वर्ष तक रहते हैं, जिससे ‘साढ़ेसाती’ और ‘ढैय्या’ जैसे प्रभाव बनते हैं। शनिदेव न्यायप्रिय हैं, इसलिए उन्हें 'धर्म के रक्षक' के रूप में भी पूजा जाता है।
शनिवार के दिन का महत्व:
शनिवार को शनिदेव की पूजा करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और जीवन की बाधाएं दूर होती हैं। मान्यता है कि इस दिन शनिदेव की आराधना से शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या और अन्य दोष शांत होते हैं। यह दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी है, जिनकी कुंडली में शनि दोष या शनि की अशुभ दशा चल रही हो।

शनिवार के दिन क्या करें?
1. प्रातः स्नान और शुद्धता:
शनिवार को सूर्योदय से पूर्व स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें। काले या नीले वस्त्र इस दिन विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं।
2. शनि देव का पूजन:
काले तिल, सरसों का तेल, नीला फूल, काले वस्त्र, लोहे का दीपक आदि से शनि देव की पूजा की जाती है। शनि देव की मूर्ति या पीपल के पेड़ के नीचे तेल का दीपक जलाकर ‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’ मंत्र का जाप करें।
3. पीपल की पूजा:
शनिवार को पीपल के वृक्ष की पूजा करने का विशेष महत्व है। पीपल को जल अर्पित करें, कच्चा दूध और काले तिल मिलाकर चढ़ाएं और सात परिक्रमा करें।
4. दान और सेवा:
शनिवार को काले तिल, काला कपड़ा, लोहा, कंबल, उड़द, तेल, छाता आदि का दान करना अत्यंत पुण्यकारी होता है। निर्धनों, विकलांगों, वृद्धों और गायों की सेवा करने से शनि की कृपा मिलती है।
5. हनुमान जी की पूजा:
शनिदेव हनुमानजी से बहुत भयभीत रहते हैं। अतः शनिवार को हनुमान जी की पूजा और सुंदरकांड पाठ करने से भी शनि दोष शांत होते हैं।
शनिवार से जुड़ी प्रमुख धार्मिक मान्यताएं:
- शनिवार को बाल कटवाना, नाखून काटना या नया कार्य शुरू करना वर्जित माना गया है।
- इस दिन लोहे की वस्तुएं, चमड़े की चीजें या नीले वस्त्र खरीदने से शनि कृपा प्राप्त होती है।
- शनि महाराज को तेल अर्पित करना अत्यंत शुभ होता है। विशेषकर सरसों के तेल से अभिषेक करने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं।

🪔 शनिदेव और राजा विक्रमादित्य की कथा (विस्तृत रूप)
प्राचीन काल की बात है। उज्जैन के राजा विक्रमादित्य को न्यायप्रिय, साहसी और प्रजा हितैषी राजा माना जाता था। उनके दरबार में एक बार नवग्रहों की विशेष चर्चा चल रही थी। राजा ने सभी ग्रहों के प्रभाव, गुण-दोष और स्थान का आकलन कर, उन्हें क्रमबद्ध करके आसन पर बैठाने का निर्णय लिया।
राजा ने सूर्य को प्रथम स्थान, चंद्र को दूसरा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, राहु और केतु को क्रमशः स्थान दिए। शनिदेव को उन्होंने अंतिम स्थान दिया — यह सोचकर कि शनि का प्रभाव धीमा और कष्टदायक माना जाता है।
यह बात शनिदेव को बहुत बुरी लगी। उन्होंने सोचा – "राजा ने मेरा अपमान किया है। मैं उचित समय पर उन्हें अपने प्रभाव से यह समझा दूंगा कि मेरा स्थान कितना महत्वपूर्ण है।"
🌑 शनि की परीक्षा शुरू होती है
कुछ समय पश्चात शनिदेव की दृष्टि राजा विक्रमादित्य की कुंडली पर पड़ी और उन्होंने अपनी साढ़ेसाती का प्रभाव आरंभ कर दिया। राजा को कुछ समझ नहीं आया, लेकिन उनके जीवन में धीरे-धीरे परेशानियाँ बढ़ने लगीं।
एक दिन राजा वेश बदलकर राज्य से बाहर भ्रमण पर निकले। रास्ते में उन्हें एक नगर में व्यापार करने का विचार आया। उन्होंने लकड़ी के खिलौने बेचने का धंधा शुरू किया। लेकिन दुर्भाग्यवश, उसी समय उस नगर में एक बहुमूल्य हार चोरी हो गया, और संयोगवश वह राजा के सामान में पाया गया (जो शनिदेव की लीला थी)। राजा को दोषी ठहराया गया और दंडस्वरूप दोनों हाथ काट दिए गए। एक समय वह महान सम्राट विक्रमादित्य अब एक अपंग भिखारी के रूप में जीवन व्यतीत करने लगे।
🙏 भक्ति और शनि कृपा का प्रारंभ
समय बीतता गया। एक दिन राजा एक तेली (तेल बेचने वाला) के यहाँ रहने लगे। वे स्वभाव से शालीन और भक्ति भाव से परिपूर्ण थे। तेली की कन्या को जब भी शनि दोष के कारण परेशानियाँ आतीं, राजा प्रार्थना और पूजा से उसे शांत कर देते। उस कन्या के पिता को यह जानकर आश्चर्य हुआ और उन्होंने अपनी कन्या का विवाह राजा विक्रमादित्य से करने का निश्चय किया।
विवाह के बाद एक रात्रि शनिदेव राजा के स्वप्न में प्रकट हुए और बोले – "राजन! आपने मेरा अपमान किया था, इसलिए मैंने आपको आपके कर्मानुसार दंड दिया। लेकिन आपने कभी हिम्मत नहीं हारी, किसी को दोष नहीं दिया और सच्चे मन से जीवन जिया। अब मैं आपसे प्रसन्न हूँ।"
शनि महाराज ने आशीर्वाद दिया और कहा –
"अब तुम्हारे सभी दोष समाप्त हो गए हैं। तुम्हारे कटे हुए हाथ पुनः जुड़ जाएंगे और तुम अपने राज्य में लौटकर पुनः वैभवपूर्ण जीवन जीओगे।"
सुबह होते ही राजा के हाथ पुनः आ गए। वह पुनः बलवान और सुंदर हो गए। नगरवासियों ने जब यह चमत्कार देखा, तो उनका सम्मान और भी बढ़ गया।
👑 राजा का राज्य में पुनः आगमन
राजा विक्रमादित्य अपनी पत्नी सहित अपने राज्य लौटे। राज्य की प्रजा उन्हें पहचानते ही आनंद से भर उठी। राजा ने दरबार में सभी नवग्रहों के लिए एक-एक मंदिर बनवाए, लेकिन शनिदेव के लिए स्वर्णमयी मंदिर बनवाकर उसमें काले घोड़े, काले तिल, सरसों का तेल और लोहे की मूर्ति की स्थापना की।
राजा ने घोषणा की कि – "शनिदेव न केवल दंड देने वाले, बल्कि सुधार का मार्ग दिखाने वाले भी हैं। जो उन्हें भक्ति से पूजेगा, वह जीवन में कभी भयभीत नहीं होगा।"
📿 कथा का संदेश:
शनि देव का प्रभाव हमारे कर्मों पर आधारित होता है।
जो व्यक्ति ईमानदारी, संयम और भक्ति से जीवन जीता है, शनिदेव अंततः उस पर कृपा करते हैं।
जीवन में जब कठिन समय आए, तो धैर्य, सेवा, तपस्या और सच्ची भक्ति को नहीं छोड़ना चाहिए।
शनि देव दंड नहीं, सुधार देने वाले देवता हैं।
पीपल की पूजा, दान, हनुमान जी की भक्ति और सत्य के मार्ग पर चलने से शनि के अशुभ प्रभाव शांत होते हैं।
शनिवार को पढ़े जाने वाले मंत्र:
बीज मंत्र:
ॐ शं शनैश्चराय नमः।
शनि गायत्री मंत्र:
ॐ सूर्यपुत्राय विद्महे महाकायाय धीमहि। तन्नो मन्दः प्रचोदयात्॥
हनुमान मंत्र (शनि पीड़ा शांत करने हेतु):
ॐ हं हनुमते नमः।
शनिवार को क्या न करें?
- दूसरों को अपमानित न करें, अन्यथा शनिदेव नाराज़ हो सकते हैं।
- आलस्य और क्रोध से बचें, ये शनि के प्रभाव को और तीव्र कर सकते हैं।
- मांस-मदिरा का सेवन इस दिन वर्जित है।
Edited By: वागड़ संदेश ब्यूरो
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