रविवार व्रत कथा (Raviwar Vrat Katha in Hindi) — जिसे रविवार के व्रत या सूर्य देव की पूजा के समय पढ़ा या सुना जाता है

रविवार व्रत कथा (Raviwar Vrat Katha in Hindi) — जिसे रविवार के व्रत या सूर्य देव की पूजा के समय पढ़ा या सुना जाता है

रविवार को सूर्यदेव की आराधना कर व्रत रखें। प्रातः स्नान कर अर्घ्य दें, "ॐ घृणिः सूर्याय नमः" मंत्र का जाप करें। व्रत कथा पढ़ें, दिनभर फलाहार करें और जरूरतमंदों को दान दें। इससे स्वास्थ्य, आत्मबल व सुख-समृद्धि प्राप्त होती है और सूर्य दोष दूर होता है।

🌞 रविवार व्रत कथा

   (Raviwar Vrat Katha in Hindi)
 
बहुत पुराने समय की बात है, एक नगर में एक धर्मात्मा ब्राह्मण अपनी पत्नी के साथ रहता था। वह सच्चे मन से भगवान सूर्यदेव की पूजा करता था और प्रतिदिन सूर्य को अर्घ्य देता था। उसकी पत्नी भी धार्मिक थी, लेकिन वह व्रतों का पालन पूरी श्रद्धा से नहीं करती थी।
 
एक बार उस ब्राह्मण ने रविवार का व्रत करना शुरू किया और अपनी पत्नी से भी कहा कि वह भी यह व्रत रखे। पत्नी ने सहमति तो जताई, लेकिन उसने मन से व्रत नहीं किया और एक रविवार को व्रत के दिन ही स्नान किए बिना भोजन कर लिया। यह देखकर सूर्यदेव को क्रोध आ गया।
 
सूर्यदेव ने उस स्त्री को श्राप दे दिया कि “तू जिस भोजन को इतना चाहती है, वह तुझे भविष्य में कभी नहीं मिलेगा और तेरा जीवन दुःखों से भर जाएगा।” कुछ ही समय में ब्राह्मण का घर दरिद्रता से भर गया। भोजन के लिए भी मोहताज हो गए।
 
ब्राह्मण को यह परिवर्तन समझ नहीं आया। उसने एक दिन ध्यान लगाया और देखा कि उसकी पत्नी ने व्रत का अनादर किया है। तब उसने पत्नी को समझाया और सूर्यदेव से क्षमा याचना करने को कहा।
 
पत्नी को पश्चाताप हुआ। उसने सच्चे मन से सूर्यदेव का व्रत करना शुरू किया। हर रविवार को व्रत करती, सूर्य को अर्घ्य देती, सूर्य मंत्रों का जाप करती और जरूरतमंदों को अन्न-वस्त्र का दान देती।
 
कुछ ही समय में उनके घर में पुनः समृद्धि लौट आई। भोजन, धन, सुख-सुविधाएँ सब लौट आए। तब से वह स्त्री और ब्राह्मण दोनों हर रविवार को सूर्यदेव का व्रत करने लगे और जीवन भर सुखी रहे।
 
 
🌞 रविवार व्रत का महत्व:
यह व्रत सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है।
यह स्वास्थ्य, धन और आत्मबल प्रदान करता है।
रविवार को व्रत रखने से संतान सुख, रोग नाश और कर्मों की शुद्धि होती है।
 
🙏 व्रत विधि संक्षेप में:
रविवार को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
सूर्य को तांबे के लोटे में जल, रोली, गुड़, लाल फूल मिलाकर अर्घ्य दें।
"ॐ घृणिः सूर्याय नमः" मंत्र का जाप करें (108 बार)।
दिनभर एक समय फलाहार करें या निर्जल व्रत रखें।
सूर्य व्रत कथा का पाठ करें और आरती करें।
जरूरतमंद को भोजन, वस्त्र या लाल वस्तु का दान करें।
 

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